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लोगों को साइबर क्राइम से बचने के ये उपाये बताए बैंकों के सलाहकार ने

बेंगलुरु। वर्तमान समय में इंटरनेट के चलते कंप्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट और मोबाइल का उपयोग बढ़ गया है। हालांकि अभी भी जागरुकता का लोगों में अभाव है। इसके कारण प्रतिदिन हजारों लोग करोड़ों रुपए के साइबर क्राइम के शिकार हो रहे हैं। साइबर क्राइम से बचने के लिए सबसे पहले जागरुकता की जरूरत है। आमजन से सीधे तौर पर जुड़े सरकारी विभाग, संस्था व बैंकों की नैतिक जिम्मेदारी है कि वे जागरुकता बढ़ाएं।

कोहली ने कहा कि इंटरनेट के प्रसार के कारण साइबर क्राइम भी तेजी से बढ़ा है। इसके लिए जरूरी है कि हम अपने डिवाइस में उच्च स्तर का सिक्यूरिटी जैसे लैपटॉप, कंप्यूटर में एंटी वायरस डालें। आम उपभोक्ता को ललचाने वाले ऑफर से बचना चाहिए। कोई भी ऐसी संस्था व व्यक्ति नहीं है, जो किसी को फ्री में लाखों रुपए दे। ऐसी संस्था व व्यक्तियों के झांसे में नहीं आना चाहिए। ऐसी प्रलोभन वाले ऑफर देखते ही व्यक्ति को संदेह हो जाना चाहिए।

सलाहकार ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार, वित्त, बैंक या बीमा के क्षेत्र में जितने भी क्रिटिकल सेक्टर हैं, उनको साइबर क्राइम से बचने की सलाह पिछले 16 साल से साइबर सुरक्षा सेवा प्रदाता सिक्योरआईज ही देती है। उन्होंने बताया कि सरकार, गैर सरकारी वित्तीय संस्थानों को साइबर सुरक्षा के लिए किन किन मानकों का उपयोग किया जाना चाहिए, उसका प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि आमजन से सीधे तौर पर जुड़े वित्तीय संस्थान अपने ग्राहकों को संतोषजनक सेवा दे सकें। ग्राहक भी ठगी के शिकार होने से बच सकें।

कोहली ने बताया कि इंटरनेट पर चलने वाले एप्लेकेशन ई कॉमर्स, बिजनेस एप्लीकेशन को भी बैक हैंड में उनकी सुरक्षा की जांच करते हैं। उन्होंने कहा कि आईटी सैक्टर एप्लेकेशन बनाता है जबकि सायबर सिक्योरिटी वाले उसे तोडऩे की कोशिश करते हैं। इसके पीछे उद्देश्य उन एप्लीकेशन को और अधिक सुरक्षित किया जा सके।

सलाहकार ने अनचाहे एसएमस लिंक, कॉल व ईमेल से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि ऐसे किसी भी लिंक, ईमेल को नहीं खोलना है। कॉल पर भी किसी को कोई ओटीपी नहीं शेयर करना है। वहीं प्रलोभन वाले लखपति व करोड़पति बनाने वाले एप को नजर अंदाज करना ही ठगी से बचने का बेहतर तरीका है।

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