
Coronavirus Lockdown : कोरोना वायरस के कारण देश में लॉकडाउन लागू होगे के बाद अपने घर से दूर अन्य प्रदेशों में काम करने वाले प्रवासी मजदूर जहां-तहां फंस गए. लॉकडाउन के बीच मजदूरों की घर वापसी का सिलसिला शुरू हुआ. सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई, तो वहीं झारखंड सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश लेह में फंसे सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रोजेक्ट में कार्य करने वाले अपने मजदूरों को विमान से वापस बुलवाया था.
बड़ी संख्या में प्रदेश के मजदूर अपने गृह राज्य लौट रहे हैं, वहीं बीआरओ को अपनी परियोजनाओं के लिए मजदूरों की आवश्यकता है. अब लेह, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से बीआरओ की टीमें मजदूरों के लिए दुमका पहुंची हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीआरओ को मजदूरों को ले जाने के लिए गृह मंत्रालय ने एनओसी भी जारी कर दिया है.
बताया जाता है कि भारतीय रेल भी मजदूरों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए 4 से 28 जून के बीच दुमका से 11 हजार मजदूरों को ले जाने के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने को तैयार है. बीआरओ की टीम के एक सदस्य ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि दुमका की जिलाधिकारी राजेश्वरी बी ने भी 20 और 23 मई को डायरेक्टर प्लानिंग और चीफ इंजीनयर को परियोजना के लिए मजदूर ले जाने के लिए एनओसी दे दिया था.
उसके अनुसार एनओसी मिलने के बाद ही तीन राज्यों लेह, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड से बीआरओ की टीमें अपने मेडिकल दस्ते के साथ दुमका पहुंचीं. बीआरओ की परियोजनाओ में काम करने के इच्छुक मजदूरों को ले जाने के लिए कानूनी प्रक्रिया अभी चल ही रही थी. इस बीच राजेश्वरी बी ने 29 मई के दिन डायरेक्टर प्लानिंग और चीफ इंजीनयर को पत्र भेजा, जिसमें वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए मजदूरों को ले जाने के लिए दी गई एनओसी रद्द करने का उल्लेख किया गया.
बताया जाता है कि चीन सीमा के करीब भारत डीएस-डीबीओ रोड का निर्माण करा रहा है. लेह लद्दाख के दुर्गम इलाके में चल रहे इस सड़क के निर्माण कार्य को लेकर भी चीन अपनी आपत्ति जाहिर करता रहा है. बीआरओ को इस प्रोजेक्ट के लिए भी मजदूरों की आवश्यकता है. सामरिक दृष्टि से यह रोड भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है, इसलिए बीआरओ इसका निर्माण कार्य जल्द पूरा करना चाहता है.
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