अंतरिक्ष से धरती की ओर आ रही बड़ी आफत, 48 घंटे बाकी…वैज्ञानिक परेशान
अंतरिक्ष से धरती की ओर आ रही बड़ी आफत, 48 घंटे बाकी...वैज्ञानिक परेशान

तैयार हो जाइए, आसमान का एक खतरनाक नजारा देखने के लिए…क्योंकि धरती के बगल से गुजरने वाली है अंतरिक्ष की एक बड़ी आफत. सिर्फ 48 घंटे बाकी हैं. कोरोना से जूझ रही दुनिया के सामने नई मुसीबत अंतरिक्ष से आ रही है. ⁶इसे लेकर दुनिया भर के वैज्ञानिक परेशान हैं. अगर दिशा में जरा सा भी परिवर्तन हुआ तो खतरा बहुत ज्यादा होगा.
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने करीब डेढ़ महीने पहले खुलासा किया था कि धरती की तरफ एक बहुत बड़ा एस्टेरॉयड तेजी से आ रहा है. बताया जाता है कि यह एस्टेरॉयड धरती के सबसे ऊंचे पहाड़ माउंट एवरेस्ट से भी कई गुना बड़ा है. (फोटोः रॉयटर्स)
इस, एस्टेरॉयड की स्पीड 31,319 किलोमीटर प्रतिघंटा है. यानी करीब 8.72 किलोमीटर प्रति सेंकड. इतनी गति से यह अगर धरती के किसी हिस्से में टकराएगा तो बड़ी सुनामी ला सकता है. या फिर कई देश बर्बाद कर सकता है. (फोटोः रॉयटर्स)
हालांकि, नासा का कहना है कि इस एस्टेरॉयड से घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह धरती से करीब 62.90 लाख किलोमीटर दूर से गुजरेगा. अंतरिक्ष विज्ञान में यह दूरी बहुत ज्यादा नहीं मानी जाती लेकिन कम भी नहीं है. कुछ वैज्ञानिकों ने इसके धरती से टकराने की भी आशंका जताई है. (फोटोः रॉयटर्स)नासा को मिला लोहे का भंडार, बेचने पर हर आदमी को मिलेंगे 9621 करोड़
इस एस्टेरॉयड को 52768 (1998 OR 2) नाम दिया गया है. इस एस्टेरॉयड को नासा ने सबसे पहले 1998 में देखा था. इसका व्यास करीब 4 किलोमीटर का है. यह एस्टेरॉयड 29 अप्रैल की दोपहर 3.26 बजे करीब धरती के पास से गुजरेगा. धरती से इसकी दूरी करीब 62.90 लाख किलोमीटर होगी. ये है एस्टेरॉयड 52768 (1998 OR 2) की लेटेस्ट फोटो. (फोटोः नासा)
भारत में इस समय दोपहर का समय होगा, दिन की रोशनी में आप इसे खुली आंखों से देख नहीं पाएंगे. इस बारे में अंतरिक्ष विज्ञानी डॉक्टर स्टीवन प्राव्दो ने बताया कि उल्का पिंड 52768 सूरज का एक चक्कर लगाने में 1,340 दिन या 3.7 वर्ष लेता है. (फोटोः नासा)
इसके बाद एस्टरॉयड 52768 (1998 OR 2) का धरती की तरफ अगला चक्कर 18 मई 2031 के आसपास हो सकता है. तब यह 1.90 करोड़ किलोमीटर की दूरी से निकल सकता है.
खगोलविदों के मुताबिक ऐसे एस्टेरॉयड का हर 100 साल में धरती से टकराने की 50,000 संभावनाएं होती हैं. लेकिन, किसी न किसी तरीके से ये पृथ्वी के किनारे से निकल जाते हैं.
बता दें कि साल 2013 में लगभग 20 मीटर लंबा एक उल्कापिंड वायुमंडल में टकराया था. एक 40 मीटर लंबा उल्का पिंड 1908 में साइबेरिया के वायुमंडल में टकरा कर जल गया था.
Source by : aajtak