
Indian Air Force : भारतीय वायुसेना लद्दाख सेक्टर में किसी भी मौसम में दिन-रात कभी भी होने वाले अभियानों को अंजाम देने के लिए पूरी तरह से तैयार है। वायुसेना ने सीमा पर नाइट मिशन ऑपरेशन किया, जिसमें फ्रंट-लाइन फाइटर जेट्स, अटैक हेलीकॉप्टर और मल्टी-मिशन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया गया। यह ऑपरेशंस भारत-चीन सीमा के पास फॉरवर्ड बेस पर किए गए। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लंबे समय से चले आ रहे तनाव के बाद चीनी सेना अपनी जगह से पीछे हटने पर राजी हुई है।
वायुसेना के इस ऑपरेशंस की जानकारी रखने वालों ने ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ को बताया कि पूर्वी लद्दाख की पहाड़ियों पर इन नाइट मिशन के लिए मिग-19 फाइटर जेट्स, सुखोई-30एस, अपाचे एएच-64ई अटैक हेलीकॉप्टर्स और सीएच-47 एफ (आई) चिनूक हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया गया। पूर्व वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल फली एच. मेजर (रिटायर्ड) ने कहा, ‘भारतीय वायुसेना इसके जरिए से पड़ोसियों को मैसेज भेज रही है कि किसी भी परिस्थिति के लिए वह तैयार है। फिर चाहे, किसी भी मौसम, किसी भी इलाके या फिर डे/नाइट मिशन की बात हो।’ उन्होंने कहा कि संदेश साफ है कि भारत के पास पूरी ताकत है और जब भी जरूरत होगी, हम उसका इस्तेमाल करेंगे।
सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज के अतिरिक्त महानिदेशक, एयर वाइस मार्शल मनमोहन बहादुर (रिटायर्ड) का कहना है कि किसी भी पेशेवर सेना को 24×7 लड़ाई के लिए तैयार रहना होता है। उन्होंने कहा, ‘पहले, फाइटर जेट्स की सीमाएं थीं, जो रात में पहाड़ियों में उन्हें उड़ने से रोकती थीं लेकिन अब वे ज्यादातर दूर हो गई हैं। लद्दाख में भारतीय वायुसेना के द्वारा दिखाया गया जौहर पायलटों और अन्य कर्मियों के कौशल को बनाए रखने के वायुसेना की ट्रेनिंग का हिस्सा है।’
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उन्होंने आगे बताया कि इस तरह के पहाड़ी क्षेत्रों में कई तरह की चुनौतियां आती हैं। पहाड़ों की छाया और उनकी गहराई की वजह से कई बार भ्रम होता है। यह सभी दिक्कतें ट्रेनिंग के अनुभव के साथ दूर होती हैं।’ एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों के सैनिक पीछे हट रहे हैं, इसके बावजूद भी पूरी सतर्कता बरतने की जरूरत है। भारतीय सेना और वायुसेना ऐसा कर भी रही है।
भारत-चीन सीमा पर मई की शुरुआत से जारी तनाव के बाद दोनों देशों के शीर्ष सैन्य कमांडरों की वार्ता के बाद चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स और गोगरा इलाके से अपने सैनिकों को डेढ़ किलोमीटर तक पीछे कर लिया है। इसके अलावा इसी अनुपात में भारतीय सैनिक भी पीछे आए हैं।
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