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मां थी कंडक्टर, अब बेटे ने 15 चौके और 11 छक्कों के दम पर ठोका दोहरा शतक

वो आता है और बरस कर चला जाता है. दूर किसी दूसरे छोर पर मां सिर्फ खबर जानकार खुश हो जाती है. अथर्व अंकोलेकर गेंद से कोहराम मचा रहा है.

अथर्व का बल्ला गरज रहा है, मगर मां है कि सिर्फ इसकी खबर लेती रहती है. अपने बेटे के कमाल को देखने स्टेडियम नहीं जा पाती. जाना चाहती है, मगर मजबूर है, क्योंकि वो ज्यादातर समय बस में टिकट काटने ने बिजी होती है. काम ही ऐसा है. बस में कंडक्टर हैं. सुबह ही नौकरी पर निकल जाती हैं और फिर बस के साथ शहर के एक कोने से दूसरे कोने घूमती है.

सफर करने वालों का टिकट काटती हैं. इसी बीच कुछ पल मिल जाए तो बेटे के दोस्तों को फोन लगाकर स्कोर पूछती है. बेटे की टीम अच्छा कर रही है, ये जानते ही बस में खुशी मनाती है. कई बार तो आंसू भी आ जाते हैं. आए भी क्यों न… पति के गुरजने के बाद भी उन्होंने अपने बेटे के सपनों को मरने नहीं दिया.

सीके नायडू में गरजा बल्ला

बेटे के सपने को पूरा करने के लिए घर से बाहर निकली. उनकी जगह नौकरी की. अपने सपनों को मारा, ताकि बेटा सपना देख सके. अब उनके उसी संघर्ष का नतीजा मैदान के दिख रहा है. इस बार अथर्व का बल्ला गरजा. सीके नायडू में मुंबई की कप्तानी करते हुए उन्होंने दोहरा शतक जड़ा. हैदराबाद के खिलाफ अथर्व ने 211 रन की ताबड़तोड़ पारी खेली. इस दौरान उन्होंने 15 चौके और 11 छक्के लगाए.

दोस्तों से मां लेती हैं खबर

अथर्व गेंद से भी कोहराम मचाते हैं. 2019 में बांग्लादेश के खिलाफ अंडर 19 एशिया कप का फाइनल कोई कैसे भूल सकता है भला, जहां उन्होंने 5 विकेट लेकर भारत को 7वीं बार चैंपियन बना दिया था. अथर्व के मुकाबले के दौरान मां उनके दोस्तों से स्कोर पूछती जा रही थी. अथर्व को मां ने अकेले पाला. 2010 में अथर्व के पिता का निधन हो गया था. इसके बाद मां वैदेही को पति की जगह सरकारी बस सेवा में कंडक्टर की नौकरी मिल गई.

मां ने बढ़ाया हौसला

अथर्व ने जब क्रिकेट खेलना शुरू किया तो उस समय उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी. ऐसे में वो 15 किमी दूर बस से क्रिकेट किट लेकर प्रैक्टिस के लिए जाते थे. कई बार तो भारी किट होने की वजह से अथर्व खेल छोड़ने के बारे में भी सोचने लगते थे, मगर वो मां ही थी, जिन्होंने उनका हौसला बढ़ाया और आज वो अपने सपने को पूरा करने के सफर पर निकल चुके हैं.

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