विधाता का लिखा कोई मिटा भी नहीं सकता यह घटना केवल एक कहानी या फिर यादगार बन गया आखिर उनकी खता भी क्या थी धरती भी कांप गयी, जब एक साथ सात शवों को लाया गया जलती हुई चिता देख, सबका दिल दहल गया
विधाता का लिखा कोई मिटा भी नहीं सकता यह घटना केवल एक कहानी या फिर यादगार बन गया आखिर उनकी खता भी क्या थी धरती भी कांप गयी, जब एक साथ सात शवों को लाया गया जलती हुई चिता देख, सबका दिल दहल गया

गढ़वा : जो जन्म लिया है, उसकी मृत्यु भी तय है। लेकिन मौत के पीछे कोई न कोई कारण जरूर होता है। क्योंकि ईश्वर किसी की मौत में खुद की अपयश लेता नहीं। सत्य है कि विधाता का लिखा कोई मिटा भी नहीं सकता है। घटना घटने के पश्चात वह दिन केवल एक कहानी या फिर एक यादगार बन कर रह जाता है।
पोस्टमार्टम के बाद शवों को लाया गया…..
शनिवार को हरिहरपुर ओपी क्षेत्र अंतर्गत डुमरसोता गांव स्थित सोन नदी में सात युवकों की मौत की घटना तो आपने सुना या जाना ही होगा। स्थानीय गोताखोरों की मदद से खोज-बिन के पश्चात सभी के शव को बाहर निकाला गया था। सभी मृतकों को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल गढ़वा भेजा गया था। पोस्टमार्टम कर, सातों शवों को उनके गांव लाया गया।
धरती भी कांप गयी, जब…..
जिस वक्त गांव के एक ही टोले के सात शवों को एक साथ लाया गया, उस वक्त उक्त गांव की धरती तक भी कांप गई । परिजनों के रोने-बिलखने व चिंघाड़ने से पूरा गांव गमगीन हो गया। सचमुच रूह को कपा देने वाला वह दृश्य देख, ग्रामीणों के द्वारा तत्परता दिखाते हुए शीघ्र व रात्रि में ही अंतिम दाह-संस्कार करने का निर्णय लिया गया। निर्णय इसलिए ऐसा लिया गया कि रात में घर पर पड़े शव देख कर, परिजनों के साथ भी कोई अनहोनी घटना न घट जाए। रोते-रोते परिजनों को बारबार बेहोश हो जाना, किसी भी लोगों की आत्मा को दुःखित कर रहा था। यह दृश्य के वक्त उनकी हालतें किसी की भी बस से बाहर थी।
यह दृश्य भी झकझोर दिया…..
राम नाम सत्य है के साथ शवों को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया । शव यात्रा में ग्रामीणों की बड़ी संख्या भी शामिल हुई। उसी सोन नदी में सभी सातों शवों को ले जाया गया, जहां उन युवकों को डूबने से मौत हो गयी थी। नदी के तट पर सभी को मुखाग्नि दी गई।
आखिर खता भी क्या थी…..
फिर से यहाँ का दृश्य भीतर तक झकझोर देने वाला था। जब एक ही समय, एकही पंक्ति में व एकहीं स्थान पर सात चिता जलने लगी। ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उस वक्त उस सोन नदी का भी कलेजा फट कर बाहर आ रहा हो। मानो वंहा की प्रकृति भी रोते-बिलखते हुए, उस नदी से यह पूछ रही हो कि ये नदी तूने ये क्या कर दिया…। सात युवकों को अपनी गोद में यूं हीं क्यों सुला लिया । सभी माताओं की गोद तूने सुनी कर दि। एक सुहागन की मांग की सिंदूर भी मिटा दी। बस इतना भी तू बता दे कि आखिर उन युवकों की खता भी क्या थी।
कलेजा दहल गया…..
सभी का अंतिम संस्कार हिन्दू रीति-रिवाज के साथ किया गया। दाह संस्कार करते वक्त मौके पर मौजूद सभी लोगों का कलेजा दहल गया।
एक अपील…..
अभिभावक अपने बच्चों पर हमेशा नजर बनाएं रखें। युवा भी उक्त खबर से सबक लें व यह तय कर लें कि किसी भी नदी, तालाब व कुआं में नहाने से खुद भी बचें व अन्य को भी अवश्य बचाएं । किसी के झांसे में न आएं। जान है तो जहान है। ऐसे भी वर्तमान समय में पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से त्रस्त है। सरकार के निर्देश व लॉक डाउन का पालन सख्ती से करें। बेवजह घर से कतई बाहर न निकलें।
संवाददाता- विवेक चौबे